आज मैंने अपने बुजुर्गों का श्राद किया क्योंकि आज अमावस्या है ,यानि श्राद्द का आखिरी दिन ,खास कर मेरी माँ जो मुझे कुच्छ महीने पहले हमेशा के लिए छोड़ के चली गयीं बहुत याद आयी .माँ तुम जहाँ भी हो भगवन आपकी आत्मा को शांति दे येही दुआ की भगवान से बस
....... ..................................................... ये जीवन है इस जीवन का येही है रंग रूप थोड़े ग़म हैं थोडी खुशियाँ येही है छाओं धुप .......................................ज़िन्दगी क्या है कोई नहीं समझ सकता शायद ............................. . . . . . . . . . . . . .
1 comment:
चंद शब्द, बहुत कुछ कहते हैं।
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