Wednesday, October 14, 2009

DEEPAWALI MANGAL MAY HO

सज गए है दीपों की लड़ियों के हार, कह रहा है मन फिर यह पुकार पुकार , इन्ही दीपों की भांति अपने हृदय को जगमगाओ , ताकि दूर हूँ समाज में फैला अन्धकार. प्रीति सिफ्प्सा

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